योगासन के लाभ

बैठ कर किये जाने वाले  महत्वपूर्ण आसन  


इसमें आलथी -पालथी मारकर अथवा पैरों को फैलाकर आसन किया जाता है।  ये आसन सामान्यत: सरल हैं।  इन्हें करने में कोई परेशानी नहीं करने में कोई परेशनी नहीं होती।  इन आसनों में बैठने का अभ्यास  लेने के बाद ही आगामी अध्याय का आसन करना चाहिए। 
  
सुखासन 
सुखासन को सामान्य भाषा में पालथी मारकर बैठने भी कह सकते है।  इस आसन में शरीर को बिना थकाए सीधी अवस्था में सरलतापूर्वक २-३ घंटे तक रखा जा सकता है।  

विधि _ सुखासन बहुत ही सरल है।  इसके लिए एक पैर मोड़ कर पहले पैर के तलवे पर टिका दें अर्थात दूसरे पैर की पिण्डली पहले पैर के तलवे पर टिकी रहे यह धायन रखे की टखने की हड्डी आप को न चुभे। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखे ताकि आप अधिक देर तक बैठ सके हाथो को घुटनो पर भी रख सकते है आप नेत्र बंद कर के मस्तिष्क को किसी वस्तु पर केंद्रित करे। 
लाभ  -इस योगासन से शरीर  काफी आराम मिलता है। मन मस्तिष्क एकग्रा होता है चिंता तथा तनावों से मुक्ति प्राप्त होती है ऐसे  थके २ से ३ घंटो तक कर सकते है।  

गुप्तासन  
इस आसन में गुदा  एवं जननांग पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ने के वजह से गुप्तासन कहा जाता है।  यह सिध्दासन के अनुरूप तथा अत्यधिक सहज होता है।  
 विधि   _   दाएं पैर को मोड़कर उसकी एड़ी गुप्तांग और गुदा के सिंध स्थल पर टिका दें।  बाएं पैर को दाएं पैर के ऊपर रखते हुए घुटने के अंदर दबाएं।  दोनों हथेलियों को ज्ञान मुद्रा की अवस्था में  घुटनों पर टिका दें।  तर्जनी को अंगूठे से दबाकर रखे।  
लाभ   _यह आसन वीर्य रक्षा में सहायक है।  इसके अलावा  ईस्वर के ध्यान अथवा चिंतन -मनन के लिए भी बहुत उपयोगी है।  इससे शरीर स्वस्थ और  प्रसंन रहता है। 
   सिद्धासन _  प्रया : योगी और सिद्ध पुरुष इसी मुद्रा मैं  बैठते है।  इसीलिए इसे 'सिध्दासन ' कहते है।  आपने अनेक महापुरुषों को इसी मुद्रा में बैठे होगा।  मूलाधार चक्र को सबल बनता है।   

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